1. पेस्टिसाइड्स (कीटनाशक) कीट को नियंत्रित करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले रसायन हैं। पेस्टिसाइड्स कई तरह के होते हैं। हर्बिसाइड्स (शाकनाशक) पौधे नष्ट करते हैं, डिसइंफेक्टैंट (कीटाणुनाशक) रोगाणु दूर करते हैं, फंजिसाइड्स (कवकनाशक) कवक नष्ट करते हैं, इन्सेक्टिसाइड्स (कीटनाशक) कीड़े मारते हैं, और रिपेलेंट्स (विकर्षक) कीटों को दूर भगाते हैं। कई अन्य पेस्टिसाइड्स आर्थ्रोपोड्स (संधिपाद), पक्षियों, मछली, स्तनधारियों, बैक्टीरिया और वायरस को नियंत्रित करते हैं।
2. यह वीडियो सबसे आम इस्तेमाल वाले पेस्टिसाइड्स (हर्बिसाइड्स, इन्सेक्टिसाइड्स, फंजिसाइड्स और बैक्टीरिसाइड्स) और उनकी कुछ बुनियादी कार्रवाई विधियों पर केंद्रित होगा।
3. कार्रवाई विधि वह तरीका है जिसके अनुसार कोई पेस्टिसाइड लक्षित पौधे, जंतु या सूक्ष्मजीव पर जहरीला प्रभाव डालता है।
4. पेस्टिसाइड कार्रवाई विधि को दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है: सिस्टेमिक (प्रणालीगत) और संपर्क।
5. सिस्टेमिक में वे पेस्टिसाइड शामिल होते हैं जो पौधे या जंतु के बाहरी सतह
को भेद कर अंदर प्रवेश करके पत्तियों और जड़ प्रणाली या आंतरिक अंग को क्षति पहुंचाते हैं।
6. कॉन्टैक्ट पेस्टिसाइड, कीट नियंत्रण करते समय प्रभावित पौधे (मेजबान) को नहीं भेदता है। यह किसी पौधे में एक बाधक अथवा विकर्षक की तरह कार्य करता है, अथवा मौजूद किसी हरित ऊतक को नष्ट करता है। जंतु या कीट इस के साथ सीधे संपर्क पर मारे जाते हैं।
7. विस्तृत प्रभावी पेस्टिसाइड जीवों की व्यापक प्रजाति, फायदेमंद और नुकसानदायक कीटों दोनों, को नष्ट या नुकसान कर सकता है। कुछ ऐसे भी होते हैं जो कि कीट में विशिष्ट लक्षण को निशाना बनाते हैं।
8. हर्बिसाइड्स (शाकनाशी) वे पेस्टिसाइड्स हैं जो अनचाहे पौधों को नियंत्रित या नष्ट करते हैं। लगभग 5,000 हर्बिसाइड्स अमेरिका में उपयोग के लिए पंजीकृत हैं, सभी विविध कार्रवाई विधि और फॉर्मूला वाले हैं।
9. इस वीडियो में हम सबसे आम इस्तेमाल वाले पांच तरह के हर्बिसाइड्स (शाकनाशियों) के बारे में सीखेंगे। ये हैं ऑक्सिन्स, एंजाइम ब्लॉकर्स, फोटोसिंथेटिक इन्हिबिटर्स (निरोधक), अमीनो एसिड और सेल ग्रोथ इन्हिबिटर्स (कोशिका वृद्धि निरोधक)।
10. वृद्धि नियंत्रक आमतौर पर सिंथेटिक ऑक्सिन्स के नाम से जाने जाते हैं। ये रसायन, प्राकृतिक पादप हॉर्मोन्स की नकल करते हैं और नई डंठलों और पत्तियों में पादप कोशिकाओं की वृद्धि को बाधित करते हैं। वे प्रोटीन के उत्पादन और कोशिकाओं के सामान्य विघटन को प्रभावित करते हैं, जिससे वृद्धि में गड़बड़ी होती है।
11. सिंथेटिक ऑक्सिन्स, ऊतकों की पानी और पोषक तत्व ले जाने वाली कोशिकाओं के विघटन और बगैर रुके वृद्धि करने का कारण बनकर भी पौधों को नष्ट करते हैं। अक्सर इसे “मौत की तरफ खुद वृद्धि करना” कहा जाता है, इसे किसी डंठल में एक सिरे को दूसरे के मुकाबले ज्यादा लंबा होते देखा जा सकता है।
12. सल्फोनिलयूरिया, फेनिल पिराज़ोलीन, और इमिडाज़ोलनोन ए। एल। एस। इन्हिबिटर्स अथवा एंजाइम ब्लॉकर्स के उदाहरण हैं। ये वह रसायन हैं जो एसेटोलैक्टेट सिन्थेस या ए.एल.एस. कहे जाने वाले एंजाइम के सामान्य कार्य को बाधित करते हैं। ये एन्जाइम अमीनो एसिड अथवा प्रोटीन सिंथेसिस में आवश्यक है। प्रोटीनों के बिना पौधे भूखे मर जाएँगे। ये एंजाइम ब्लॉकर्स पौधों की विविध प्रजातियों को नष्ट करते हैं जिसमें चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार, फलीदार नरकुल और घास शामिल हैं।
13. ACCase इन्हिबिटर्स मुख्य रूप से घास नष्ट करते हैं। यह एंजाइम घास के पौधे की जड़ों में लिपिड्स या चरबी बनने में मदद करता है। लिपिड्स के बिना, कमजोर खरपतवार मर जाते हैं।
14. फोटोसिंथेटिक इन्हिबिटर्स जैसे कि बाइपिरिडिनियम और ट्रायज़ीन वे रसायन हैं जो प्रकाश संश्लेषण, अथवा पौधों के भोजन बनाने की प्राकृतिक क्षमता में हस्तक्षेप करते हैं, और पौधे की वृद्धि को बाधित करते हैं, जिससे आखिरकार पौधे की मौत हो जाती है।
15. हर्बिसाइड्स में अमीनो एसिड सिंथेसिस इन्हिबिटर्स, शूट एंड रूट ग्रोथ इन्हिबिटर्स और पीपीओ इन्हिबिटर्स भी हैं।
16. अनेक शाकनाशी इन समूहों के अंतर्गत आते हैं जिनमें ग्लायफोसेट, एसेटोक्लॉर, और ट्रायफ्लूरालिन शामिल हैं। ये शाकनाशी कोशिका वृद्धि और विघटन को रोकते हैं अथवा बाधित कर देते हैं।
17. पिगमेंट इन्हिबिटर्स (रंग निरोधक) अथवा “ब्लीचर्स”, वे शाकनाशी हैं जो उपचार के बाद किसी पौधे के ऊतक को सफेद बना देते हैं। उदाहरण में शामिल हैं ओक्साज़ोलिडिनोन, इसाक्सेज़ोल, और ट्रिकेटोन। वे पौधे में क्लोरोफिल के उत्पादन को बाधित करते हैं जिससे पौधे के ऊतक सफेद हो जाते हैं और प्रकाश संश्लेषण की क्रिया बाधित होती है। प्रकाश संश्लेषण की प्रणाली बगैर कैरोटनाइड्स के धूप द्वारा आसानी से नष्ट की जा सकती है।
18. इन्सेक्टिसाइड्स (कीटनाशी) कीड़ों और अन्य आर्थ्रोपॉड्स को नियंत्रित करते हैं।
19. इन्सेक्टिसाइड्स में मौजूद नसों और मांसपेशियों का ज़हर, कीटों के भीतर मौजूद विभिन्न चैनलों, एन्जाइम्स और ग्राहियों (रिसेप्टर्स) को बाधित, निरोधित, रोक, नष्ट या सक्रिय करता है। उदाहरणों में कार्बामेट्स, ऑर्गनोफॉस्फेट, पायरेथ्रॉइड्स, पायरेथ्रिन्स, फिप्रोनिल, क्लोरडेन, डीडीटी और नियोनिकोटिनॉइड्स शामिल हैं।
20. इसके परिणाम स्वरूप लकवा, अति उत्साह, प्रणालियों का बंद होना और अति उत्तेजित मांसपेशियों का संकुचन जैसे कई तरह के लक्षण दिखाई देते हैं।
21. मिडगट पॉइजन्स (पेट का विष), वे ज़हर हैं जो कि विषाक्त प्रोटीन के जरिए कीट के पेट पर आक्रमण करते हैं और आयनों, या लवणों और दूसरे मिनरल्स को असंतुलित करते हैं और सेप्टिसीमिया, या रक्त में जहर फैलने के कारण बनते हैं। उदाहरण में शामिल हैं बीटी टॉक्सिन्स जैसे कि बेसिलस, थोरिंजीन्सिस, और बेसिलिस स्फेरिकस।
22. इन्सेक्ट ग्रोथ रेग्युलेटर्स (कीट वृद्धि नियंत्रक), इनमें से किसी एक हॉर्मोन की नकल करके, सीधे अंदरूनी झिल्ली की वृद्धि बाधित करके या फिर चरबी निर्माण को नुकसान पहुँचाकर, कीटों के सामान्य जीवन चक्र को बाधित करते हैं। इससे कीट अनिश्चितकाल तक अवयस्क अवस्था में रहकर ही मर जाते हैं।
23. रेस्पिरेटर्स, माइटोकॉन्ड्रियल एटीपी सिंथेसिस के निरोधक, प्रोटोन ग्रेडिएंट को बाधित करके ऑक्सीडेटिव फास्फोरिलेशन को अलग करने वाले, अथवा माइटोकॉन्ड्रियल जटिल इलेक्ट्रॉन परिवहन निरोधक हो सकते हैं।
24. ये कीटनाशी कीटों में कोशिकीय प्रक्रिया को नियंत्रित करने वाली ऊर्जा के उत्पादन को कम करके उन्हें क्रियाशील होने से रोकते हैं। इनके उदाहरण हैं: मांसपेशियों की कमजोरी, सांस लेने में तकलीफ, देखने में दिक्कत और मांसपेशियों का समन्वय खत्म होना।
25. अन्य अनजान या गैर विशिष्ट लक्षित कीटनाशी, कम वर्णित लक्षित स्थलों या गतिविधियों को प्रभावित करने के लिए अथवा गैर विशिष्ट रूप से विविध लक्ष्यों पर असर करने के लिए जाने जाते हैं।
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